रिपोर्ट_प्रभ जोत सिंह जिला ब्यूरो चीफ
अर्चना नारायण जिला संवादाता
इंडेविन टाइम्स न्यूज नेटवर्क
सुल्तानपुर।नगर के रामलीला मैदान में श्री रामलीला ट्रस्ट समिति द्वारा सैकड़ों वर्षों से होती आ रही ऐतिहासिक रामलीला महोत्सव के आज पांचवें दिन सीता जन्म प्रसंग के अवसर पर आज के कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रुप में श्री राम प्रकाश मिश्रा संस्थापक दधीचि फाउंडेशन एवं श्री राम प्रताप यादव पूर्व प्रधानाचार्य संत तुलसीदास रामलीला मैदान आदि गणमान्य की गौरवमई उपस्थिति में भगवान का पूजन व आरती करके आज के प्रसंग का शुभारंभ किया गया । इस मौके पर विद्यालय प्रधानाचार्य द्वारा मुख्य अतिथि महोदय को अंगवस्त्रम व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित भी किया गया।।
माता सीता के जन्म की कथा-अयोध्या के कलाकारों द्वारा माता सीता के जन्म की कथा का बहुत ही रोचक मंचन किया गया ।एक बार राजा जनक के राज्य मिथिला में अकाल पड़ गया, तब महाराज जनक ने ऋषियों ,मुनियों और विद्वानों से सलाह मांगी कि अकाल कैसे समाप्त किया जाए? सभी ने सलाह दी कि यदि आप स्वयं हल से भूमि को जोतेंगे ,तब भगवान इंद्र की कृपा से मिथिला का अकाल दूर हो सकता है ,राजा जनक ने राज्य से अकाल को समाप्त करने के लिए और अपनी प्रजा के हित के लिए निर्णय लिया और स्वयं हल चलाने को तैयार हुए ।राजा जनक ने भूमि को जोतना शुरू किया ,राजा जनक जब भूमि पर हल चला रहे थे तभी हल जाकर एक जगह अटक गया राजा जनक ने देखा कि हल की नोंक एक स्वर्ण कलश से अटकी हुई थी।
राजा जनक ने स्वर्ण कलश को निकाला उस कलश में दिव्य ज्योति लिए एक नवजात कन्या थी, धरती मां की कृपा से प्राप्त हुई इस कन्या को राजा जनक ने अपनी पुत्री मान लिया ।कन्या कलश में हल लगने की वजह से राजा को मिली थी,हल की नोंक को सीत कहते है ,इसलिए महाराज जनक ने कन्या का नाम सीता रखा ।