कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को दी बड़ी सौगात ,अब जलेगी नहीं, गलकर खाद बनेगी पराली


पीलीभीत.


भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली ने एक ऐसा कैप्सूल तैयार किया है, जिसके छिड़काव से पराली खेत में ही नष्ट हो जाएगी। किसान उस अपशिष्ट को खाद के रुप में इस्तेमाल कर सकते हैं। इस एक डी-कंपोज कैप्सूल की कीमत महज पांच रुपए है। डीएम ने तहसील कलीनगर के गांव जमुनिया खासपुर में इसका डेमो दिखाया। गोष्ठी में किसानों को इसकी जानकारी दी।


जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने कहा- ये कैप्सूल वैज्ञानिकों ने पहले ही तैयार कर लिया था, जिसकी जानकारी बड़े लेवल पर कृषि पाठशालाओं के द्वारा किसानों को दी जा रही थी। लेकिन निचले स्तर के किसानों तक ये जानकारी नहीं पहुंच पा रही थी। लेकिन, अब मैंने उप कृषि निदेशक यशराज सिंह से दिल्ली से एक खेप मंगा ली है। जिसे हम किसानों के बीच जाकर प्रयोग का तरीका बात रहे हैं। इस कैप्सूल का प्रयोग पीलीभीत में पहली बार किया जा रहा है। 


एक एकड़ पराली के लिए लगेंगे चार कैप्सूल
वैज्ञानिकों के अनुसार, एक एकड़ फसल अवशेष को नष्ट करने के लिए चार कैप्सूल लगेंगे। इसके इस्तेमाल के लिए 10 लीटर पानी गर्म करना है। जब पानी गर्म हो जाए तो 250 ग्राम गुड़ और 100 ग्राम बेसन डाल कर घोल बनाना है। जब घोल बनकर तैयार हो जाए तो उसमें इस कैप्सूल को मिला देना है। 


गड्ढा तैयार होने के बाद क्या करें?
10 फुट चौड़ा व इतना ही लंबे गहरे गड्ढे में एक परत पराली की डालना है और उसपर कैप्सूल से तैयार घोल का छिड़काव कर फिर एक परत पराली डालना है। फिर छिड़काव करना है और पराली भरे गड्ढे को 15 दिन तक छोड़ देना है। इस तरह से 15 दिन में पराली गलकर नष्ट हो जाएगी और वह खाद में तब्दील हो जाएगी। पीलीभीत में डीएम ने मनरेगा के माध्यम से ग्राम प्रधानों को गड्ढा खुदवाने का जिम्मा दिया है।        


पराली जलाने पर 500 किसानों पर दर्ज हो चुकी हैं एफआईआर
पीलीभीत में पराली जलाने को लेकर प्रशासन ने किसानों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई की है। यहां लगभग 500 किसानों पर एफआईआर दर्ज की गई और 25 किसानों को जेल भी भेजा गया। लेकिन प्रशासन पराली जलाने से किसानों को रोक नहीं पाया। जेल जाने से किसानों में रोष व्याप्त था और वो लगातार प्रशासन और सरकार का विरोध कर रहे थे। प्रशासन ने अब ये तरीका निकाला है। लेकिन कितना कारगर होगा, ये देखने वाली बात होगी।