कानपुर
कृषि के विकास के शुरुआती दौर में इंसान खेत में बीजों का छिड़काव करके खेती करता था। दौर बदला और किसान बोआई के लिए हल में लगे कूपे के बाद फार्म मशीन तक पहुंच गए। लेकिन आईआईटी कानपुर ने इससे एक कदम आगे बढ़ा दिया है। अब किसान बूट पहनकर बोआई करेंगे। बूट की तली में सिलिंडर से खेत में छेद होगा और बीज या दानेदार खाद उसमें समा जाएगी। मतलब बीज का भरपूर इस्तेमाल।
कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में किसानों के खेत आकार में छोटे होते हैं, जबकि पंजाब में किसान बड़े-बड़े खेतों के मालिक होते हैं। बढ़िया उत्पादन और अच्छी माली हालत के बीच पंजाब के किसान खेतों में बीज बोने के लिए फार्म मशीनें इस्तेमाल करते हैं, लेकिन यूपी-बिहार के गरीब किसानों के लिए 2 हजार रुपये/घंटे के किराए वाली यह मशीन लगाना मुश्किल होता है। दूसरा विकल्प मजदूर का होता है, लेकिन उसे भी हर दिन 500 रुपये चुकाने होते हैं। मजदूर एक दिन में एक बीघा जमीन पर बोआई नहीं कर पाते हैं।
नुकीले सिलिंडर से मिट्टी में होगा छेद, अंदर समाएगा बीज
इस समस्या से निपटने के लिए आईआईटी कानपुर के मेकेनिकल इंजिनियरिंग के सहायक प्रफेसर नीरज सिन्हा और उनकी टीम के संघप्रिय, राकेश थपलियाल ने एक खास बूट विकसित किया है। मार्केट में मिलने वाले दूसरे बूटों की तरफ इस बूट का कनेक्शन किसान की कमर पर बंधे पाउच से होगा। पाउच को पाइप से जोड़ा जाएगा।
बूट पहने कोई किसान जैसे ही खेतों में जाएगा तो बूट की तली में लगे नुकीले सिलिंडर की मदद से मिट्टी में छेद बनेगा, साथ ही एक बीज उस छेद में समा जाएगा। बूट में लगे उपकरणों की मदद से किसान जमीन पर होने वाले छेद का साइज घटा-बढ़ा सकेंगे। इसी तरह दानेदार खाद भी खेत में डाली जा सकेगी।
बाजार में आने में लगेगा कुछ वक्त
इसे पूरी तरह आईआईटी कानपुर में विकसित किया गया है। बूट का वजन बाजार में मिलने वाले सामान्य बूटों की तरह ही होगा। कीमत करीब 2 हजार रुपये रहने का अनुमान है। बाजार में उपलब्ध होने में इसे कुछ समय लग सकता है। बूट के ही दबाव से बीज पर मिट्टी भी दोबारा गिर जाएगी। एक जगह पर बीज डालने के बाद किसान दूसरी जगह बीज डालना चाहे तो कमर पर बंधी पाउच से बीज या उर्वरक की निकासी रोकी भी जा सकेगी।